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​क्या ग्लोबल मार्केट जल्द ही रिकवर होंगे? 2008 की मंदी से निवेशकों को क्या सीखना चाहिए.

भारत और विश्व के लिए ग्लोबल मार्केट्स में गिरावट कोई नई बात नहीं है. यह पहले भी हो चुका है, और 2008 की मंदी इसका एक और उदाहरण है. उस समय के कारण, वर्तमान कारणों से अलग थे, लेकिन लगभग एक समान ही हैं.

जब से आईएमएफ (इंटरनेशनल मोनेटरी फंड) ने कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक मंदी की भविष्यवाणी की है, तब से लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं. दुनिया भर के लोग जानना चाहते हैं कि यह वैश्विक आर्थिक मंदी कब खत्म होगी.

लेकिन, ग्लोबल-मार्केट रिकवरी को समझने के लिए, हमें कुछ कारकों को समझना और उनका मूल्यांकन करना होगा.

वर्तमान स्थिति क्या है?

आईएमएफ के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट जून 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 2020 में 4.5% के तीव्र संकुचन का अनुमान लगाया गया था. जिसका कारण भयंकर कोरोनावायरस महामारी है, जिसने लगभग सभी आर्थिक गतिविधियों को ठप कर दिया है.

इस मौजूदा स्थिति के कारण देश में मंदी का दौर होने की बात कही जा रही है.

मंदी में क्या होता है?

मंदी के दौरान, आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इससे जीडीपी और औसत आय में गिरावट आती है, साथ ही बेरोजगारी में वृद्धि होती है.

क्या भारत को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है?

इस बड़ी समस्या की बात की जाए, तो भारत ने कभी भी आर्थिक गतिविधियों में इतनी लंबी अवधि की मंदी का सामना नहीं किया है. देश शायद पहली बार आर्थिक मंदी को देख रहा है. (नेशनल हेराल्ड इंडिया में प्रकाशित विचार, दिनांक 21 जून, 2020)

2008 का संकट भी देश के लिए अपनी तरह का पहला संकट था और भारत बहुत मुश्किल से इससे उबर पाया था. भारत ने विकासशील दुनिया के कई अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया था.

भले ही 2008 की मंदी से भारत की रिकवरी आशाप्रद थी, लेकिन पूरे देश को कोविड -19 के प्रभाव से रिकवरी करने की प्रतीक्षा अभी भी है.

हम मौजूदा आर्थिक स्थिति से कब रिकवर कर पाएंगे? आइए पता करें.

मंदी कितने समय तक चलती है?

यदि हम पिछले 14 मंदी को देखें, तो वे औसतन 1.1 वर्षों तक चली हैं. सबसे लंबी मंदी लगभग 3.5 वर्ष (1929 की महामंदी) और सबसे छोटी मंदी लगभग छ: महीने (1980 की मंदी) रही थी.

क्या ग्लोबल मार्केट जल्द ही रिकवर करेंगे?

इस प्रश्न का उत्तर देना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन एक बात सुनिश्चित है कि कोई भी आर्थिक सुधार रातोंरात कभी नहीं हुआ है.

आमतौर पर मंदी के बाद विस्तार की अवधि आती है. विस्तार की ये अवधि, 1980 की मंदी के बाद लगभग एक वर्ष से लेकर 1991 मंदी के बाद लगभग दस वर्षों की अवधि में अलग-अलग रही है. औसतन, एक विस्तार की अवधि लगभग चार वर्षों तक चलती है. पिछली घटनाओं से भविष्य के अनुमान लगाए जा सकते हैं, लेकिन हर बार उनसे आने वाले दिनों के लिए सटीक पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है.

वैश्विक मंदी से उबरने में लगने वाला समय, रिकवरी पैटर्न के प्रकार पर निर्भर करता है

रिकवरी के प्रकार

मंदी से रिकवरी का एक निश्चित पैटर्न है जो इस पर निर्भर करता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में वापस कैसे सुधार होता है. आमतौर पर, यह निम्नलिखित वृद्धि ग्रोथ कर्व में से एक का पालन करता है:

  • वी-शेप:यह तेज़ और सक्रिय है. इस स्थिति में,अर्थव्यवस्था में तेज़ी से गिरावट आती है, जिसके बाद समान रूप से तेज़ रिकवरी होती है.
  • यू-शेप :इसके तहत, अर्थव्यवस्था में तीव्रता से मंदी आती है और रिकवरी धीमी होती है.
  • डब्ल्यू-शेप:इसके तहत, ऐसा लगता है कि अर्थव्यवस्था वी-शेप की रिकवरी के दौर से गुज़र रही है, फिर जब यह दूसरी बार गिर जाती है, तो पूरी तरह से रिकवर करने से पहले आमतौर पर छोटी या कम हो जाती है.
  • एल-शेप:इसके तहत वृद्धि में गिरावट होती है, इसके बाद सामान्य स्थिति में बहुत धीमी गति से रिकवरी होती है.
  • स्वूश-शेप:इसके तहत, एक तेज़ गिरावट के बाद शुरू में धीमी, फिर भी सामान्य स्थिति में स्थिर रिकवरी होती है.

इन्वेस्टर्स के लिए 2008 की मंदी का अध्ययन करना क्यों महत्वपूर्ण है?

2008 के वित्तीय संकट ने न केवल शेयर मार्केट्स को बुरी तरह प्रभावित किया, बल्कि इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी अपने घुटनों पर ला दिया. कोविड -19 महामारी अभी भी जारी है, और दूर-दूर तक कोई अंत नहीं दिख रहा है, इसके कारण भारत और पूरी दुनिया एक और आर्थिक संकट महसूस कर रही है. हालांकि, 2007-2008 संकट के दौरान सीखे गए सबक हमें मौजूदा संकट से निपटने के लिए तैयार करने में मदद कर सकते हैं.

2008 के आर्थिक संकट ने हम सभी को जो पांच कठिन सबक सिखाए हैं, वे ये हैं.

सबक 1: अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करें

विभिन्न इंडस्ट्रीज़ और सेक्टर्स में स्टॉक खरीदकर, पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करने से जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है. कोई भी अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए इन्वेस्टमेंट विकल्प के रूप में म्यूचुअल फंड चुन सकता है.

सबक 2: सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में निवेश करें

2008 के आर्थिक संकट के दौरान इन्वेस्टर्स को जो एक बड़ा सबक मिला, वह यह था कि इन्वेस्टमेंट के नुकसान को कम से कम रखने के लिए सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट कितना बेहतर है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) शेयर मार्केट में गिरावट से इन्वेस्टमेंट पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए रुपये की औसत लागत सिद्धांत का उपयोग करता है.

सबक 3: धैर्य रखें

2008 के आर्थिक संकट ने शेयर मार्केट में भारी बिकवाली का कारण बना. इससे बड़ी संख्या में इन्वेस्टर्स को भारी नुकसान हुआ. वैश्विक आर्थिक संकट का सामना करते समय, व्यक्ति को अपने इन्वेस्टमेंट को बेचने के बजाय धैर्य रखना चाहिए. भविष्य में इन्वेस्टमेंट की वैल्यू में वृद्धि होने की संभावना हमेशा बनी रहती है.

सबक 4: इक्विटी मार्केट के आगे भी देखें

ऐसा इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो, जिसमें कई एसेट क्लास शामिल हैं, उसके फाइनेंशियल संकट से बचने की संभावना अधिक होती है. इक्विटी, इन्वेस्टमेंट पर अच्छे रिटर्न दे सकती हैं, लेकिन अच्छे रिटर्न प्राप्त करने के अन्य तरीके भी हैं. आप बॉन्ड, डेट विकल्प, अन्य सरकारी सिक्योरिटीज़ और गोल्ड का विकल्प चुन सकते हैं.

सबक 5: हमेशा तैयार रहें

2007-2008 के दौरान, पर्याप्त एमरजेंसी फंड न होने के कारण, कई स्मॉल-टाइम इन्वेस्टर्स को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के कारण, भारत में मौजूदा रोज़गार दर पर भी प्रभाव पड़ रहा है. इमरजेंसी फंड इन्वेस्टर को उस मुश्किल दौर से निकलने में मदद करते हैं, जिसका अभी दुनिया सामना कर रही है.

हम कब वैश्विक मार्केट को फिर से ऊपर उठते हुए देख पाएंगे, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. कोविड -19 के प्रभाव के कारण फाइनेंशियल रूप से सुरक्षित रहना भी असंभव लगता है. ऐसे में हम अभी जो सबसे अच्छा कर सकते हैं, वह है 2007-2008 मंदी से सीख लेकर भविष्य के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहना.

रिफरेंस :

https://www.imf.org/en/Publications/WEO/Issues/2020/01/20/weo-update-january2020

https://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/gdp-growth-falls-to-5-8-in-january-march-quarter-slowest-in-five-years/articleshow/69598816.cms

https://www.forbes.com/sites/mikepatton/2020/04/30/what-the-past-90-years-has-taught-us-about-recessions-and-stock-behavior/#10328ed92ddf

https://www.nationalheraldindia.com/opinion/economists-now-say-future-bleaker-than-ever

https://economictimes.indiatimes.com/opinion/et-commentary/2008-crisis-a-wake-up-call-for-india/articleshow/6000712.cms

https://www.ig.com/au/trading-strategies/what-is-an-economic-recovery-and-what-are-the-types-200612#types-of-recession-and-economic-recovery

https://www.imf.org/en/Publications/WEO/Issues/2020/06/24/WEOUpdateJune2020

https://www.thehindu.com/business/Economy/imf-projects-sharp-contraction-of-45-in-indian-economy-in-2020/article31907715.ece

यहां दी गई किसी भी राय को किसी भी इन्वेस्टमेंट को खरीदने या बेचने की सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए. विविधिकरण से निवेश में रिटर्न्स की गारंटी नहीं मिलती और न ही नुकसान का जोखिम समाप्त होता है. लेखन के समय उन्हें विश्वसनीय माना जाता है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि ये सभी के लिए समान हों और उनकी सटीकता की गारंटी नहीं दी जाती है. वे आपके संदर्भ या सूचना के बिना बदलाव के अधीन हो सकते हैं. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इन्वेस्टमेंट वैल्यू और उनसे होने वाली आय में मार्केट की स्थितियों और टैक्सेशन एग्रीमेंट के अनुसार उतार-चढ़ाव हो सकता है और हो सकता है कि इन्वेस्टर्स को इन्वेस्टमेंट की गई पूरी राशि वापस न मिले. पिछ्ला प्रदर्शन भविष्य में स्थिर रह सकता है या नहीं भी रह सकता है. सभी इन्वेस्टर्स के लिए उल्लिखित विचार और रणनीतियां उपयुक्त नहीं हो सकती हैं. इसके अलावा, इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट का लक्ष्य इन्वेस्टमेंट के उद्देश्यों को प्राप्त करना है, लेकिन इस बात का कोई आश्वासन नहीं दिया जा सकता है कि उन उद्देश्यों को पूरा किया जाएगा. इन्वेस्टर्स को सलाह दी जाती है कि कोई भी इन्वेस्टमेंट निर्णय लेने से पहले अपनी जोखिम क्षमता और टैक्स एडवाइज़र निर्धारित करने के लिए अपने इन्वेस्टमेंट एडवाइज़र से परामर्श लें. मार्केट ट्रेंड को समझाने के लिए डेटा/आंकड़े/टिप्पणी दी गई है, इसे किसी भी रिसर्च रिपोर्ट/रिसर्च सलाह के रूप में नहीं मानना चाहिए.



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