हाइब्रिड म्यूचुअल फंड - प्रकार, लाभ और निवेश
क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी लोकल मल्टी-पर्पज शॉप किराने के सामान से लेकर सब्जियों तक और यहां तक की स्टेशनरी तक विभिन्न प्रकार के सामान क्यों रखती है. यहां पर दुकानदार की कोशिश यह रहती है कि वह केवल एक ही प्रोडक्ट तक सीमित न रहे, ताकि उसका जोखिम कम हो जाए और आय सुरक्षित हो जाए. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम में भी इसी प्रकार की अवधारणा का पालन किया जाता है. ये फंड इक्विटी, डेट जैसी विभिन्न एसेट क्लास में निवेश करते हैं. ऐसा क्यों किया जाता है? एक आम निवेशक के रूप में आप, अपने निवेश से फंड बनाने के अवसर चाहते हैं, जो कि इक्विटी जैसी एसेट क्लास में होता है, वहीं आप यह भी चाहेंगे कि आपका जोखिम कम रहे, जैसा कि डेट एसेट क्लास में होता है. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम कॉर्पस को इन एसेट क्लास के बीच बांट देती है, जिससे आपका जोखिम कम हो जाता है.
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम विविधता और एसेट एलोकेशन की अवधारणाओं पर आधारित होती है. एसेट एलोकेशन आपके द्वारा अपने फाइनेंशियल लक्ष्यों, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि के अनुसार पैसों को विभिन्न एसेट कैटेगरी में निवेश करने की प्रक्रिया है. विविधता का मतलब एसेट कैटेगरी में विविधता लाना है. एक ओर जहां एसेट एलोकेशन आपके पूरे पोर्टफोलियो के लिए जोखिम और रिटर्न को संतुलित करने में मदद करता है, वहीं विविधता एसेट कैटेगरी के भीतर आपके जोखिम को संतुलित करती है. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम का उद्देश्य, इन दोनों अवधारणाओं को एक साथ लाना और निवेशक को इक्विटी और डेट दोनों के फायदे प्रदान करना है.
मुख्य रूप से, हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम में इक्विटी और डेट सिक्योरिटीज़ का मिश्रण होता है. लेकिन कुछ हाइब्रिड म्यूचुअल फंड अन्य एसेट क्लास जैसे गोल्ड आदि में भी निवेश कर सकते हैं.
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम के प्रकार
ध्यान दें: ये हाइब्रिड स्कीम 6 अक्टूबर 2017 को जारी सेबी के सर्कुलर 'कैटेगराइजेशन एंड रैशनलाइजेशन ऑफ म्यूचुअल फंड स्कीम' के अनुसार हैं
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड के लाभ
- आपको एक ही म्यूचुअल फंड स्कीम में कई एसेट क्लास का एक्सेस मिलता है
- आपकी जोखिम लेने की क्षमता और एसेट क्लास की पसंद के आधार पर, आप अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं
- ये आपको इक्विटी और डेट एसेट क्लास के बीच आपके जोखिमों को विविधता प्रदान करने का अवसर देते हैं
- ये आपको न केवल एसेट एलोकेशन प्रदान करते हैं, बल्कि विविधता भी प्रदान करते हैं
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम में किसे निवेश करना चाहिए?
पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों के लिए हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम म्यूचुअल फंड में एक अच्छा एंट्री पॉइंट सिद्ध हो सकती है. इन फंड्स का डेट भाग आपको स्थिरता और इक्विटी भाग वेल्थ क्रिएशन के अवसर प्रदान करता है. इसके अलावा अपने पोर्टफोलियो में विविधता चाहने वाले निवेशक और विभिन्न एसेट क्लास में निवेश की इच्छा रखने वाले रिटायर व्यक्ति भी हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड के लिए टैक्सेशन
घरेलू इक्विटी शेयरों में 65% या अधिक एलोकेशन वाले हाइब्रिड फंड को टैक्सेशन के उद्देश्यों के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड माना जाता है (फंड ऑफ फंड के अलावा), और बाकी सभी को इक्विटी फंड के अलावा अन्य फंड माना जाता है.
इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए, नीचे बताए अनुसार टैक्सेशन लागू होता है-
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) टैक्स- अगर कोई निवेशक प्राप्त होने की तिथि से 12 महीने से कम अवधि के लिए यूनिट होल्ड करता है, तो ऐसा लाभ 15% की दर से टैक्स योग्य होता है.
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) टैक्स- अगर किसी निवेशक द्वारा प्राप्त होने की तिथि से 12 महीने से अधिक की अवधि के लिए यूनिट होल्ड की जाती है, तो ऐसे लाभ पर @ 10% की दर से टैक्स लगाया जाता है. इसमें लागत की ग्रांडफादरिंग का अतिरिक्त लाभ होता है और ₹1 लाख की लिमिट उपलब्ध है.
इसके अलावा, इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स एसटीटी (सिक्योरिटीज़ ट्रांज़ैक्शन टैक्स) के अधीन हैं.
इक्विटी के अलावा बाकी म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए टैक्सेशन नीचे बताए अनुसार होता है-
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) टैक्स- अगर कोई निवेशक प्राप्त होने की तिथि से 36 महीने से कम अवधि के लिए यूनिट होल्ड करता है, तो ऐसे लाभ वाले निवेशक पर लागू टैक्स स्लैब दर के अनुसार टैक्स लागू होता है.
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) टैक्स- अगर कोई निवेशक प्राप्त होने की तिथि से 36 महीने से अधिक की अवधि के लिए यूनिट होल्ड करता है, तो इस प्रकार के लाभ के लिए निवासी निवेशकों पर @ 20% (इंडेक्सेशन के साथ) टैक्स लगाया जाता है. इंडेक्सेशन लाभ, आपकी खरीद की कीमत में मुद्रास्फीति का प्रभाव एडजस्ट मदद करता है, इसलिए मूल इन्वेस्टमेंट वैल्यू के बजाय इंडेक्स्ड इन्वेस्टमेंट वैल्यू से लाभ की गणना की जाती है. इस वैल्यू को निर्धारित करने के लिए कॉस्ट ऑफ इन्फ्लेशन इंडेक्स (सीआईआई) इस्तेमाल किया जाता है, जो हर साल घोषित किया जाता है.