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​इस सप्ताह की फाइनेंशियल टर्म: इक्विटी- लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस)

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) एक प्रकार की म्यूचुअल फंड स्कीम है, जो इक्विटी संबंधी विकल्प में इन्वेस्टमेंट करती है और इनकम टैक्स कटौती के लिए ईएलएसएस में अपने इन्वेस्टमेंट का क्लेम करने में आपकी मदद करती है. ईएलएसएस टैक्स लाभ, अन्य इक्विटी-आधारित म्यूचुअल फंड स्कीम से ईएलएसएस को अलग करता है. ईएलएसएस, इन्वेस्टमेंट की तिथि से 3 वर्ष की लॉक-इन अवधि के साथ आता है, जिसका मतलब है कि आप 3 वर्षों के इन्वेस्टमेंट के बाद ही ईएलएसएस से अपने इन्वेस्टमेंट को रिडीम कर सकते हैं. जैसे कि यह इक्विटी-आधारित स्कीम है, इसलिए बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के लिए लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट का सुझाव दिया जाता है.

ईएलएसएस फंड में इन्वेस्ट कैसे करें?

ईएलएसएस फंड में इन्वेस्टमेंट करने के दो तरीके हैं- सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी), जिसमें आप स्कीम में नियमित अंतराल पर एक पूर्वनिर्धारित राशि का भुगतान करते हैं या लंपसम इन्वेस्टमेंट, जिसमें आप एक बार में पूरे पैसे इन्वेस्ट करते हैं.

परिदृश्य I -एसआईपी

मान लें कि आपने 1 जनवरी 2020 से ₹ 5000 की मासिक एसआईपी शुरू की है; फिर आपकी लॉक-इन अवधि इस प्रकार होगी-

जैसा कि देखा जा सकता है, एसआईपी की प्रत्येक किश्त के लिए एक अलग लॉक-इन अवधि होती है और इस प्रकार इसे रिडीम किया जा सकता है.

परिदृश्य II- लंपसम राशि

अगर उसी राशि का इन्वेस्टमेंट 1 जनवरी 2020 को लंपसम राशि के रूप में किया गया जाता है, तो पूरी राशि को 1 जनवरी 2023 को रिडीम किया जा सकता है.

ईएलएसएस के तहत टैक्स लाभ

इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 के सेक्शन 80सी के तहत, ईएलएसएस स्कीम के अंतर्गत किए गए इन्वेस्टमेंट, आपकी टैक्स योग्य इनकम से ₹ 1.5 लाख तक की कटौती के लिए पात्र हैं. उदाहरण के लिए, यदि आप ईएलएसएस फंड के तहत 1 अप्रैल 2020 को प्रति माह ₹10,000 की एसआईपी शुरू करते हैं, तो आप धारा 80सी के तहत पूरे वर्ष के लिए ₹1,20,000 (12x ₹10,000) की कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं. इसका मतलब है कि एक साल में आप करीब ₹ 46,800 टैक्स की बचत करते हैं. टैक्स कानून समय-समय पर किए गए संशोधनों के अधीन हैं. निवेश करने से पहले इन्वेस्टर को इस संबंध में अपने टैक्स सलाहकार से परामर्श करने की सलाह दी जाती है.

ईएलएसएस में कौन इन्वेस्ट कर सकता है?

  1. ऐसे इन्वेस्टर, जिनका अन्य पारंपरिक टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट की तुलना में बेहतर रिटर्न प्राप्त करने का लक्ष्य है
  2. ऐसे इन्वेस्टर, जो म्यूचुअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करते समय टैक्स बचाना चाहते हैं
  3. पहली बार म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने वाले वाे इन्वेस्टर, जो म्यूचुअल फंड स्कीम में टैक्स सेविंग और लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट का दोहरा लाभ प्राप्त करना चाहते हैं
  4. 3 वर्षों से ज़्यादा समय के लिए इन्वेस्टमेंट में रुचि रखने वाले इन्वेस्टर
  5. ये सूची केवल सांकेतिक है.

ईएलएसएस पर टैक्स का प्रभाव

ईएलएसएस से रिटर्न पर, किसी अन्य इक्विटी-आधारित म्यूचुअल फंड स्कीम की तरह टैक्स लगाया जाता है. जैसे कि ईएलएसएस 3 वर्षों की लॉक-इन अवधि के साथ आता है, इसलिए केवल लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी). यानी ₹ 1 लाख से अधिक के आपके लाभ पर 10% लागू होता है.

उदाहरण के लिए, यदि आप 3 वर्षों की लॉक-इन अवधि के बाद वर्तमान में ₹2,50,000 की कीमत का इन्वेस्टमेंट रिडीम करते हैं, तो ₹1,50,000 (₹1 लाख से अधिक लाभ) पर 10%, यानी 15,000 का एलटीसीजी लगाया जाएगा.

नोट: आप ₹46,800 तक टैक्स बचा सकते हैं: इनकम टैक्स अधिनियम 1961 के सेक्शन 80 सी के प्रावधान के अनुसार, फाइनेंशियल वर्ष 2020-21 के दौरान ईएलएसएस स्कीम के तहत, ₹50 लाख से कम की टैक्स योग्य आय वाले व्यक्ति और एचयूएफ, ₹ 1.5> लाख तक निवेश कर सकते हैं (लागू सेस सहित) टैक्स योग्य आय और निवेश के अधीन टैक्स बचत आनुपातिक रूप से कम हो जाएगी. इसके अलावा, ईएलएसएस स्कीम में इन्वेस्टमेंट, यूनिट के आवंटन की तिथि से 3 वर्ष की लॉक-इन अवधि के अधीन है. ईएलएसएस स्कीम इंवेस्टमेंट पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (यदि कोई हो), तो वह रिडेम्पशन के समय लागू टैक्स के अधीन है. टैक्स लाभ, वर्तमान आयकर कानूनों और नियमों के अनुसार हैं. ऐसी स्कीम में इन्वेस्ट करने से पहले इन्वेस्टर को अपने टैक्स सलाहकार से परामर्श करने की सलाह दी जाती है.


डिस्क्लेमर:
यह निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड द्वारा निवेशक को शिक्षित और जागरूक करने की पहल है.
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