म्यूचुअल फंड निवेश मार्केट जोखिमों के अधीन हैं, स्कीम से संबंधित सभी डॉक्यूमेंट सावधानीपूर्वक पढ़ें - हर किसी ने इस डिस्क्लेमर को पढ़ा/सुना है, लेकिन हममें से कितने लोग जानते हैं कि कंपनियां आखिर किन जोखिमों की बात करती हैं? म्यूचुअल फंड इक्विटी सरकारी सिक्योरिटीज़, गोल्ड, इंटरनेशनल सिक्योरिटीज़, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स आदि जैसी विभिन्न प्रकार की सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं. इन सिक्योरिटीज़ की कीमतें विभिन्न छोटे-बड़े आर्थिक कारकों के कारण बढ़ती-घटती हैं, जिसके परिणामस्वरूप म्यूचुअल फंड स्कीम के
एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) में बदलाव आता है, जो और कुछ नहीं बल्कि स्कीम की प्रति यूनिट लागत है.
यहां कुछ जोखिम दिए गए हैं, जिनके बारे में सभी निवेशक को जानकारी होनी चाहिए-
उतार-चढ़ाव का जोखिम-इक्विटी/स्टॉक स्टॉक मार्केट में और बाॅन्ड, बाॅन्ड मार्केट में ट्रेड करते हैं, जबकि अलग-अलग स्तर पर, दोनों मार्केट उतार-चढ़ाव के अधीन होते हैं, हालांकि स्टॉक मार्केट में, बाॅन्ड की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक जोखिम होता है. यह उतार-चढ़ाव ट्रेड की जा रही सिक्योरिटी, जैसे कि शेयर, बाॅन्ड आदि की प्रति यूनिट कीमत में उतार-चढ़ाव है. कीमत में यह उतार-चढ़ाव कंपनियों के परफॉर्मेंस, सरकारी नीतियों में परिवर्तन, नियामक परिवर्तन, आरबीआई की नीतियों आदि के कारण हो सकती है. कोई स्कीम जितनी अधिक रिटर्न देने वाली होती है, उतनी ही जोखिम भरी हो सकती है. उदाहरण के लिए, एक सेक्टोरल स्कीम, लार्ज-कैप इक्विटी स्कीम की तुलना में अधिक जोखिम भरी हो सकती है. इसका कारण यह है कि जब पोर्टफोलियो किसी खास सेक्टर तक सीमित होता है, तो विविधता का दायरा लार्ज-कैप स्कीम की तुलना में बहुत कम होता है.
लिक्विडिटी का जोखिम- यह स्कीम में एसेट की लिक्विडिटी की कमी के कारण, निवेश को रिडीम करने में होने वाली कठिनाई या रिडेम्पशन की मांग अचानक बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण आसानी से फंड पूरा नहीं होने की समस्या को दर्शाता है. ऐसी स्थिति में फंड मैनेजर, एसेट को तेज़ी से खरीदने या बेचने में सक्षम नहीं हो पाता है.
ब्याज दर का जोखिम- ब्याज दर में बदलाव या बदलाव के अनुमान के आधार पर बाॅन्ड की कीमतों में उतार-चढ़ाव आता है. दोनों नेगेटिव रूप से संबंधित होते हैं, जिसका अर्थ है कि जब ब्याज दर बढ़ती है, तो बाॅन्ड की कीमत गिरती है और इसके उलट जब बॉन्ड की कीमत बढ़ती है, तो ब्याज दर घटती है. बाॅन्ड की कीमत में यह बदलाव, बाॅन्ड से जुड़े ब्याज दर के लिए जोखिम बनता है, और इसके बदले इन बाॅन्ड में निवेश की गई म्यूचुअल फंड स्कीम पर भी इसका असर पड़ता है. किसी डेट स्कीम की मेच्योरिटी अवधि जितनी लंबी होगी, ब्याज दर का जोखिम उतना ही अधिक होगा और इसके विपरीत किसी डेट स्कीम की मेच्योरिटी अवधि जितनी कम होगी, ब्याज दर का जोखिम उतना कम होगा.
क्रेडिट का जोखिम- किसी कंपनी से जुड़ी क्रेडिट जोखिम, उसके डेट/क्रेडिट का पुनर्भुगतान करने की संभावना को दर्शाती है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां उन्हें 'AAA से D' तक की रेंज में रेटिंग देती हैं, जिसमें AAA सबसे अधिक रेटिंग है, जिसका अर्थ है कि कंपनी की डेट चुकाने की बहुत अधिक संभावना है, और इसी प्रकार, D सबसे कम रेटिंग है. इन कंपनियों में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम भी क्रेडिट जोखिम के दायरे में आएगी.
निष्कर्ष-
प्रत्येक प्रकार की
म्यूचुअल फंड स्कीम में उससे संबंधित कई प्रकार के जोखिम हो सकते हैं; एक व्यक्ति के रूप में यह आपको तय करना है कि आप इन विभिन्न प्रकार के जोखिमों के लिए कितने तैयार हैं. आप स्कीम इन्फॉर्मेशन डॉक्यूमेंट (एसआईडी) को पढ़ कर उस स्कीम से जुड़े जोखिमों को समझ सकते हैं. उसके आधार पर, आप अपने कस्टमाइज़्ड एसेट एलोकेशन के साथ आगे बढ़ सकते हैं और अपने निवेश उद्देश्यों और जोखिम के स्तर के अनुसार पोर्टफोलियो बना सकते हैं.
म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट मार्केट जोखिमों के अधीन हैं, स्कीम से संबंधित सभी डॉक्यूमेंट को ध्यान से पढ़ें